इन 10 राज्यों में गालियों का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होता है – नंबर 1 पर नहीं है उत्तर प्रदेश!

Dainik Diary - 2025

गाली बंद घर अभियान

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यह रिपोर्ट 11 साल लंबे चले "गाली बंद घर अभियान" पर आधारित है, जिसका नेतृत्व डॉ. सुनील जागलान ने हरियाणा के रोहतक से किया। इस सर्वे में करीब 70,000 हिंदी भाषी प्रतिभागियों ने भाग लिया, जो अलग-अलग पृष्ठभूमियों से थे। इसी सर्वे के आधार पर यह तय किया गया कि भारत के 10 सबसे अधिक गाली देने वाले राज्य कौन से हैं।

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दिल्ली (80%)

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सूची में सबसे ऊपर राजधानी दिल्ली है, जहाँ 80% लोग रोज़ाना की बातचीत में गालियों का प्रयोग करते हैं। यहाँ लिंग आधारित और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग आम सामाजिक समूहों में सामान्य माना जाता है।

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पंजाब (78%)

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दूसरे नंबर पर है पंजाब, जहाँ 78% लोग रोज़मर्रा की बातचीत में गाली-गलौज का खुलकर इस्तेमाल करते हैं। यहाँ गालियाँ बातचीत का आम हिस्सा बन चुकी हैं और इसे एक सामान्य अभिव्यक्ति माना जाता है।

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उत्तर प्रदेश (74%)

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तीसरे स्थान पर है उत्तर प्रदेश, जहाँ लगभग 74% लोग नियमित रूप से गालीयुक्त भाषा का उपयोग करते हैं। यह भारत के सबसे उच्च दर वाले राज्यों में से एक है।

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हरियाणा (71%)

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हरियाणा चौथे स्थान पर है, जहाँ 71% लोग गालियों का लगातार उपयोग करते हैं। खासकर स्थानीय बोलियों से निकले अपशब्द और लिंग आधारित गालियाँ आम हैं।

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बिहार (68%)

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एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार इस सूची में पाँचवें स्थान पर है, जहाँ 68% आबादी आम बातचीत में गाली-गलौज का इस्तेमाल करती है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। हालांकि, यह व्यवहार वहां की संस्कृति का हिस्सा बन गया है, जहाँ आक्रामक भाषा को अपराध नहीं माना जाता।

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राजस्थान (62%)

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राजस्थान में 62% लोग स्थानीय बोली और बातचीत में कठोर शब्दों का प्रयोग करते हैं। कई लोग इन देसी गालियों को सामान्य मानते हैं।

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महाराष्ट्र (61%)

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महाराष्ट्र के 61% नागरिक, विशेष रूप से मुंबई और अन्य शहरी क्षेत्रों में, गालियों को "अर्बन स्लैंग" के रूप में लेते हैं, लेकिन यह फिर भी मौखिक दुरुपयोग की आदत को दर्शाता है।

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गुजरात (58%)

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गुजरात आठवें स्थान पर है, जहाँ 58% लोग गाली-गलौज को बातचीत का सामान्य हिस्सा मानते हैं। यह स्थानीय संवाद की आदतों में गहराई से समाया हुआ है।

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मध्य प्रदेश (55%)

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मध्य प्रदेश के 55% लोग स्वीकार करते हैं कि वे नियमित रूप से गाली-गलौज का उपयोग करते हैं। यह दर्शाता है कि यहाँ मौखिक आक्रोश अब सामान्य हो चला है।

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छत्तीसगढ़ (45%)

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छत्तीसगढ़ में 45% लोग गालियों का उपयोग नियमित बातचीत में करते हैं। यहाँ यह व्यवहार सभी लिंगों में समान रूप से प्रचलित है और सामान्य संवाद का हिस्सा माना जाता है।

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