ऑलराउंडर जडेजा ने गेंद से ही नहीं, बल्ले से भी कमाल किया। निचले क्रम में आकर 72 छक्के जड़ देना उनकी आक्रामक शैली को दर्शाता है।
कैप्टन कूल ने टेस्ट क्रिकेट में भी ताकत का दम दिखाया। 90 मैचों में 78 छक्के मारना बताता है कि धोनी बल्ले से कितने भरोसेमंद थे।
आक्रामकता का दूसरा नाम हैं ऋषभ पंत। सिर्फ 46 टेस्ट में 88 छक्के मारकर उन्होंने विकेटकीपर-बल्लेबाज़ की भूमिका को नए मायनों में गढ़ा।
‘हिटमैन’ ने टेस्ट क्रिकेट में भी छक्कों की बारिश की। 57 मैचों में 88 छक्के जड़कर दिखा दिया कि लाल गेंद पर भी उनका राज है।
टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे विस्फोटक ओपनर। सहवाग ने 91 छक्के सिर्फ 104 मैचों में जड़े। हर गेंद को सीमा पार भेजने की नीयत ही उनकी ताकत थी।