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बिहार चुनाव में NDA की सुनामी Nitish Factor से ले उड़ी विपक्ष की उम्मीदें, RJD और Congress दोनों फेल
बिहार की राजनीति हमेशा से दिलचस्प रही है, लेकिन इस बार का चुनाव नतीजों का ट्रेंड देखकर यही कहना पड़ेगा—NDA ने ऐसी लहर चलाई कि विपक्ष के दिग्गज भी हैरान रह गए। पटना के राजनीतिक गलियारों में सुबह से जो हलचल थी, दोपहर तक वह एकतरफा रुझानों में बदल गई।
सबसे बड़ा कारण?
Nitish Kumar का “Silent But Solid” फैक्टर।
Nitish Factor क्यों बना गेम-चेंजर?
बिहार की राजनीति में एक बात हमेशा सही साबित होती है—जितना लोग Nitish Kumar को underestimate करते हैं, उतना ही वह मजबूत होकर लौटते हैं।
इस बार भी ऐसा ही हुआ।
- JD(U) और BJP, दोनों 180 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाए दिखे।
- कई सीटों पर NDA प्रत्याशी रिकॉर्ड मतों से आगे थे।
- गांवों में महिला वोटर्स की चुपचाप पसन्द—NDA की निर्णायक ताकत बन गई।
कई इलाकों में लोग कहते दिखे—“रोड बने, बिजली आई, काम हुआ… Nitish काम करता है।”
यही भरोसा NDA के पक्ष में वोट में बदला।
Chirag Paswan + Upendra Kushwaha = NDA की Social Chemistry Perfect
NDA की यह जीत महज़ BJP–JD(U) के दम पर नहीं दिख रही।
दो बड़े किरदारों ने इस समीकरण को मजबूत किया—
Chirag Paswan और Upendra Kushwaha।
दोनों की वापसी ने NDA को लगभग 7% अतिरिक्त वोट बैंक दिया, जो कई सीटों पर निर्णायक फर्क बना।
पहले जहां ये वोट बिखर जाते थे, इस बार सीधे NDA की झोली में चले गए।
चुनाव विशेषज्ञ शुरुआत से कहते रहे—
“Paswan वोट जहाँ भी एकमुश्त जाता है, वहां नतीजे पलटते हैं।”
रुझान इस बात को साबित करते दिखे।
RJD का M-Y फॉर्मूला अब पुराना?
Tejashwi Yadav पूरे चुनाव में युवाओं, बेरोजगारी और शिक्षा पर बात करते रहे।
लेकिन एक सच्चाई छिपी नहीं रह सकी—RJD अभी भी MY (Muslim–Yadav) समीकरण से बाहर नहीं निकल पा रही।
नतीजों में दिखा—
- 2020 में सबसे बड़ी पार्टी रहने वाली RJD का ग्राफ लगातार नीचे जाता दिखा।
- शुरुआती रुझान 50 सीटों से भी नीचे चले गए।
- ग्रामीण क्षेत्रों में Yadav वोटों का एक हिस्सा भी NDA की ओर सरकता दिखा, जो RJD के लिए बड़ा झटका है।
यही वजह है कि तेजस्वी की रैलियों में भीड़ दिखने के बावजूद वोट में कन्वर्ज़न नहीं हुआ।

Congress की हालत—‘नाम’ बचा, प्रदर्शन गायब
Congress की स्थिति और भी खराब रही।
- रुझान में सीटें सिंगल डिजिट में सिमट गईं।
- कई सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार तीसरे या चौथे स्थान पर रहे।
- स्थानीय स्तर पर संगठन की कमजोरी साफ दिखी।
कांग्रेस नेताओं में खुद यह चर्चा चल रही है—
“अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो अगला चुनाव लड़ना और मुश्किल होगा।”
Mahagathbandhan की उम्मीदें अब अंतिम राउंड पर टिकीं
यद्यपि गिनती अभी पूरी नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक माहौल स्पष्ट है—
Mahagathbandhan रुझानों से निराश है और NDA उत्साहित।
आखिरी दौर में मामूली परिवर्तन संभव हैं, पर प्रमुख तस्वीर साफ हो चुकी है।
पटना से लेकर दिल्ली तक, हर राजनीतिक विश्लेषक यही कह रहा है—
“Nitish + BJP का फार्मूला इस बार विपक्ष को पूरी तरह चित कर गया।”
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